Vaccines

मई 10 2021 को अपडेट किया गया

कोविड-19 के टीके को उपयोग के लिए लाये जाने के साथ ही इस टीके को तैयार किए जाने की प्रक्रिया, इसके सुरक्षित होने, उपलब्धता, कीमत और दूसरे ऐसे मुद्दों पर बहुत से लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं। यहां आपको टीकों से संबंधित इन सवालों पर सूचना उपलब्ध होगी। साथ ही आप जान सकेंगे कि इस संबंध में वैज्ञानिक अभी क्या जानते हैं और क्या जानना अभी बाकी है। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO); स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW), भारत सरकार; सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC), युनाइटेड स्टेट्स और दूसरे ऐसे ही विश्वसनीय स्रोतों से जुटाई गई है। इनमें से कुछ का उपयोग शब्दशः किया गया है जबकि कुछ जगहों पर उन्हें नए सिरे से शब्दों में उतारा गया है। हम इस सूचना को इकट्ठा कर पेश करते हुए इसे जुटाने में इन संगठनों की अहम भूमिका का विशेष उल्लेख करना चाहते हैं।

कोविड-19 से खुद को और दूसरों को बचाने के लिए आप कई कदम उठा सकते हैं और टीका लगवाना उनमें से एक प्रमुख है। इसके साथ ही चेहरे पर मास्क लगाने, दूसरों से दूरी बना कर रखने और बार-बार हाथ धोते रहने आदि सावधानियों को जारी रखने की सलाह दी जाती है। इससे खुद वायरस के संक्रमण में आने और दूसरों तक इसे फैलाने की आशंका कम हो जाती है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी की गई विस्तृत गाइडलाइन यहां देखी जा सकती है

आप जो सूचना चाहते हैं, वह अगर यहां नहीं मिलती है तो आप इस पेज के सबसे नीचे दिए गए फॉर्म के माध्यम से अपना सवाल जरूर भेज दें। हमारी टीम उसका जवाब तलाशने की कोशिश करेगी।

वीडियो श्रृंखला देखने के लिए, यहां क्लिक करें

टीके का विकास

कोविड-19 टीके कैसे काम करते हैं?

इस समय कोविड-19 के बहुत से टीके तैयार किए जा रहे हैं। इनका परीक्षण हो रहा है और साथ ही इन्हें मंजूरी मिल रही है। इन सभी का उद्देश्य है शरीर की रोग प्रतिरोधी व्यवस्था को सुरक्षित तरीके से कोरोना वायरस की पहचान कर उसे रोकने के लिए प्रशिक्षित करना है। इसके विभिन्न प्रकार निम्न हैः

  • निष्क्रिय विषाणु (इनएक्टिवेटेड) या कमजोर किए गए विषाणु (वीकेंड वायरस) के टीके, ये वायरस के एक स्वरूप का उपयोग करते हैं, जिसे निष्क्रिय कर दिया गया हो या कमजोर कर दिया गया हो, ताकि वह रोग का कारण नहीं बन सके। लेकिन ऐसी स्थिति में भी यह रोग प्रतिरोधी व्यवस्था को सक्रिय कर देता है।
  • वायरल वेक्टर टीके, ये अनुवांशिक इंजीनयरिंग के आधार पर तैयार विषाणु का उपयोग करते हैं ताकि अनुवांशिक कोड (जैसे कि डीएनए) को ले जाया जा सके और प्रोटीन पैदा किए जा सकें जो रोग प्रतिरोधी क्षमता को प्रोत्साहित करे, लेकिन कोविड-19 का कारण नहीं बने।
  • एमआरएनए टीके, जिनमें सिंथेटिक या कृत्रिम एमआरएनए होते हैं। यह कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन तैयार करने के लिए उपयोग की गई सूचना है। यह प्रोटीन अकेला कोविड-19 का कारण नहीं बन सकता। हमारी कोशिकाएं इस एमआरएनए का उपयोग करती हैं और वायरल प्रोटीन तैयार करती हैं। ये हमारी रोग प्रतिरोधी व्यवस्था को एंटीबॉडी तैयार करने के लिए प्रेरित करती हैं, जो वायरस से लड़ता है और उसे रोकता है।
  • प्रोटीन-आधारित टीके, ये प्रोटीन या प्रोटीन शेल के हानिरहित अंशों का उपयोग करते हैं, जो रोग प्रतिरोधी क्षमता को सक्रिय करने के लिए कोविड-19 की नकल करता है लेकिन कोविड-19 रोग पैदा नहीं करता।

अधिक सूचना के लिए देखें: https://www.who.int/news-room/feature-stories/detail/how-do-vaccines-work


कोविड-19 के टीके दूसरे टीकों के मुकाबले इतनी जल्दी कैसे विकसित हो सके?

टीके को तैयार करने की प्रक्रिया इतनी तेज गति से इसलिए चल सकी क्योंकि इसका शोध और विकास, क्लीनिकल ट्रायल, निर्माण और वितरण की योजना आदि सभी एक साथ एक समय में ही चलाए जा सके। आम तौर पर ये प्रक्रिया एक के बाद एक होती हैं। इस तरह पूरी प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम किया जा सका है। लेकिन लोगों की सुरक्षा के संबंध में उठाए जाने वाले कदमों को उपेक्षित नहीं किया गया है।


टीकों की सुरक्षा

टीकों का परीक्षण कैसे किया जाता है?

संभावित टीकों का बहुत सघन परीक्षण किया जाता है। इसमें टीके और इसके अवयवों की सावधानीपूर्वक जांच शामिल है। इन परीक्षण में यह आकलन भी किया जाता है कि टीका कितना सुरक्षित है और यह बीमारी से कितनी मुस्तैदी से बचाव कर पाएगा। ये परीक्षण पहले रिसर्च प्रयोगशाला में किए जाते हैं और उसके बाद जब लगता है कि टीका सुरक्षित और प्रभावी है तो शोधकर्ता उसके क्लीनिकल परीक्षण के लिए आवेदन कर सकते हैं। क्लीनिकल ट्रायल में आम तौर पर तीन चरण के दौरान कई हजार स्वस्थ्य स्वयंसेवी हिस्सेदार शामिल होते हैं। हर चरण में भाग लेने वालों की संख्या क्रमिक रूप से बढ़ती जाती है। हर चरण के दौरान परीक्षण को बहुत सख्त सुरक्षा संबंधी मानकों का पालन करना होता है। इनका निर्धारण राष्ट्रीय नियामक करते हैं जो हमेशा उस परीक्षण में भाग लेने वालों की सुरक्षा को प्राथमिकता में रखते हैं। जब टीका निर्माता अपने टीके की मंजूरी के लिए आवेदन करता है, तो क्लीनिकल ट्रायल के सभी नतीजों पर ध्यान दिया जाता है।


हमें कैसे पता चलता है कि टीका सुरक्षित है?

आज हम जिन टीकों का सबसे अधिक उपयोग करते हैं वे कई दशकों से उपयोग में हैं, जिनका हर वर्ष लाखों लोग सुरक्षित तरीके से उपयोग कर रहे हैं। उन सभी टीकों की तरह कोविड-19 टीकों को भी मंजूरी दिए जाने से पहले सघन परीक्षण से गुजरना पड़ा है। दुनिया भर के वैज्ञानिक 2020 की शुरुआत से ही कोविड-19 के मौजूदा टीकों के विकास के लिए काम कर रहे हैं और उसके परीक्षण की पूरी प्रक्रिया से गुजरे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सुरक्षित हैं। टीकों को लगाना शुरू किए जाने के बाद भी उसकी सुरक्षा संबंधी निगरानी की जाती है जिसे हम पोस्ट मार्केट सर्विलेंस कहते हैं। इससे यह सुनिश्चित हो पाता है कि जब शुरुआत में उन्हें बाजार में उतारा गया था उस समय की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रदर्शन संबंधी शर्तों को वह बाद में भी पूरा कर रहे हैं या नहीं।


क्या टीके लगाने के कोई साइड इफेक्ट भी हैं?

कोविड-19 टीका लगवाने से आपको कोरोना बीमीरी से सुरक्षा मिलेगी। इससे आपको कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं, लेकिन ये ऐसे सामान्य लक्षण हैं जो दर्शाते हैं कि आपके शरीर में इस विषाणु से सुरक्षा विकसित हो रही है। सामान्य साइड इफेक्ट में सुई लगवाने की जगह पर दर्द और सूजन के साथ ही फ्लू जैसे लक्षण जैसे बुखार, ठंड लगना, थकान और सरदर्द आदि शामिल हैं। कुछ दिनों में ये समाप्त हो जाते हैं।
यह भी पाया गया है कि कुछ लोगों में कोविड-19 टीके की एलर्जी प्रतिक्रिया होती है। अगर आपको कभी दूसरी टीके या सुई से कोई गंभीर एलर्जी हुई हो तो आपको सलाह दी जाती है कि आप यह टीका लगवाने से पहले अपने डॉक्टर से बात कर लें।


अगर मैं गर्भवती हूं या स्तनपान करवा रही हूं तो क्या यह टीका लगना सुरक्षित होगा?

वर्तमान में, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए कोविशिल्ड® या कोवाक्सिन® के साथ टीकाकरण करने पर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है, क्योंकि गर्भवती महिलाओं को इन टीका क्लीनिकल ट्रायल से बाहर रखा गया है। जो महिलाये क्लीनिकल ट्रायल का हिस्सा थे और बाद में गर्भवती हो गईं, उनके माध्यम से विशेषज्ञ अध्ययन करके गर्भवती महिलाओं के लिए टीको की सुरक्षा का निर्धारण कर रहे हैं।

अभी स्वास्थ्य मंत्रालय कहता है की वो महिलाये जो गर्भवती हैं या अपनी गर्भावस्था के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं, और जो स्तनपान कराने वाली महिलाये है वो कोविड-19 टीका प्राप्त न करे।

स्रोत: https://www.mohfw.gov.in/covid_vaccination/vaccination/faqs.html


सामान्य चिंताएं

टीके की दो खुराक की जरूरत क्यों है?

पहली खुराक शरीर को वायरस को पहचानने में मदद करती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को भविष्य के संक्रमण से बचाने के लिए तैयार करती है, जबकि दूसरी खुराक उस प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मजबूत करती है। यह शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करता है।


क्या टीकों से भी मुझे कोविड-19 हो सकता है?

नहीं, विभिन्न तरह के टीकों में विभिन्न तरह की सामग्री होती है जो हमारे शरीर को प्रोटींस या एंटीबॉडीज विकसित करने के लिए संकेत देती हैं ताकि हमें वायरस से सुरक्षा मिल सके। इनमें से किसी में भी सक्रिय विषाणु नहीं होते हैं
शरीर में इसकी वजह से जो रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित होती है, उससे बुखार जैसे कुछ लक्षण जरूर विकसित हो सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्ति वायरस से संक्रमित है। सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के टीके किस तरह काम करते हैं इस बारे में अधिक जानकारी यहां से ले सकते हैं।

टीकाकरण के बाद शरीर को आम तौर पर रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित करने में कुछ सप्ताह का समय लगता है। इसका मतलब यह है कि टीकाकरण के ठीक पहले या उसके कुछ दिनों बाद तक भी व्यक्ति को कोविड-19 से संक्रमित होने और बीमार होने की आशंका रहती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि टीके को सुरक्षा देने के लिए जरूरी समय नहीं मिला होता है।


अगर मुझे कोविड-19 हो कर ठीक हो चुका है, क्या तब भी मुझे उपलब्ध होने पर यह टीका लेना चाहिए?

हां, कोविड-19 के साथ संक्रमण के पिछले इतिहास के बावजूद कोविड-19 वैक्सीन का पूरा शेड्यूल प्राप्त करना उचित है। यह बीमारी के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करने में मदद करेगा। कोविड-19 संक्रमण के बाद प्रतिरक्षा का विकास या सुरक्षा की अवधि स्थापित नहीं की गई है, इसलिए कोविड-19 संक्रमण के बाद भी वैक्सीन प्राप्त करने की सिफारिश की जाती है। टीका लगने से पहले कोविड लक्षणों से उबरने के बाद 4-8 सप्ताह तक प्रतीक्षा करें।

अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://www.mohfw.gov.in/covid_vaccination/vaccination/faqs.html


अगर मुझे वर्तमान में कोविड-19 है तो क्या मुझे टीका लगवाना चाहिए?

कोविड-19 के संक्रमण वाले लोगों की वजह से टीकाकरण केंद्र पर दूसरे लोगों को भी संक्रमण की आशंका बढ़ सकती है, इसलिए संक्रमित व्यक्तियों को 10 दिन या लक्षण समाप्त होने तक टीकाकरण टाल देना चाहिए।


क्या कोविड-19 का टीका हर वर्ष लेना होगा?

परीक्षण में प्रमाणित हुआ है कि कोविड-19 का टीका सुरक्षित है और अल्प अवधि में यह बीमारी से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन अभी हम यह नहीं जानते कि इसकी सुरक्षा शरीर में कितने समय तक मौजूद रहेगी। संभव है कि सुरक्षा कई वर्षों तक शरीर में बनी रहे, लेकिन यह भी संभव है कि आने वाले वर्षों में दुबारा कोविड-19 टीका देने की जरूरत हो। अगर टीकाकरण की सुरक्षा आने वाले समय में कम हो जाए या कोविड-19 वायरस समय के अनुसार बदल जाए तो फिर से टीका लेने की जरूरत होगी।


नया अगर मैंने टीके की दो खुराक ले ली है तो क्या मुझे मास्क पहनने और दूसरों से दूरी बना कर रखने की जरूरत होगी?

हां। हालांकि विशेषज्ञ अभी इस बात का पता कर रहे हैं कि कोविड-19 टीके वास्तविक जीवन की स्थितियों में कितनी सुरक्षा मुहैया करवाते हैं, लेकिन तब तक सभी के लिए यह जरूरी है कि वे इस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सहयोगी सभी उपायों को अपनाते रहें। इन उपायों में अपने मुंह और नाक को मास्क से ढक कर रखना, हाथ धोते रहना और दूसरों से कम से कम दो मीटर की दूरी बना कर रखना शामिल हैं। कोविड-19 टीके और सभी की ओर से कोविड-19 सुरक्षा निर्देशों के पालन से इसके प्रसार को रोकने में सर्वाधिक मदद मिलेगी। कोविड-19 टीकों से मिलने वाली सुरक्षा के बारे में अभी विशेषज्ञों को और जानकारी जुटानी होगी। इसके बाद ही इसके प्रसार को रोकने के लिए सभी लोगों की ओर से अपनाए जाने वाले जरूरी उपायों संबंधी अपनी सिफारिशों को बदल सकेंगे।

कोविड-19 टीके कोविड-19 बीमारी और विशेष रूप से गंभीर बीमारी और मृत्यु को रोकने में प्रभावी हैं। लेकिन हम अभी भी सीख रहे हैं कि कैसे कोविड-19 टीके लोगों को बीमारी फैलाने से बचाते हैं। इसके अलावा, हम अभी भी सीख रहे हैं कि कोविड-19 के टीके वायरस के वैरिएंट के खिलाफ कितने प्रभावी हैं। शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि टीके कुछ वेरिएंट के खिलाफ काम कर सकते हैं, लेकिन दूसरों के मुकाबले कम प्रभावी हो सकते हैं।

कुछ लोग अभी भी संक्रमण विकसित कर सकते हैं, लेकिन यह कम गंभीर होने की संभावना है। और इसलिए मास्क पहनना, हाथ धोना और भीड़ से दूर रहना आवश्यक है। जब तक हम वेरिएंट के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता के बारे में अधिक नहीं जानते हैं, और जब तक कि अधिकांश आबादी को टीका नहीं लगाया जाता है, तब तक कोविड-19 रोकथाम प्रोटोकॉल का पालन जारी रखना आवश्यक है।

स्रोत: https://www.mohfw.gov.in/covid_vaccination/vaccination/faqs.html


टीकों में कौन-कौन से अवयव होते हैं?

आधुनिक टीकों में सिर्फ सुरक्षित और प्रभावी अवयवों का ही उपयोग किया जाता है। टीके का हर अवयव किसी खास उद्देश्य के लिए होता है। उदाहरण के तौर पर, टीकों में इस तरह की चीजें शामिल हो सकती हैः

  1. जो किसी खास बीमारी के खिलाफ सुरक्षा या रोग प्रतिरोधी क्षमता उपलब्ध करवाने में मदद करती हैं
  2. जो टीके को सुरक्षित और लंबे समय के लिए उपयोग लायक बनाए रखने में मदद करती हों या
  3. जिसे टीकों के उत्पादन के दौरान उपयोग में लाना पड़ता हो।
अवयव जो रोग प्रतिरोधी क्षमता प्रदान करते हैं-

टीकों में ऐसे अवयव शामिल होते हैं जो आपकी रोग प्रतिरोधी क्षमता को किसी खास बीमारी से लड़ने के लिए सक्षम बनाने में मदद करते हैं। उदाहरण के तौर परः

  • एंटीजेन बीमारी पैदा करने वाले कमजोर या मृत जीवाणु की बहुत छोटी मात्रा होती है। ये आपकी रोग प्रतिरोधी क्षमता को सिखाते हैं कि संक्रमण से कैसे जल्दी और प्रभावी तरीके से लड़ा जाए। फ्लू वायरस एंटीजेन का एक उदाहरण है।
  • एडजुवेंट्स, ये कुछ टीकों में होते हैं और ऐसे अवयव होते हैं जो आपकी रोग प्रतिरोधी क्षमता को टीके के साथ बेहतर तरीके से प्रतिक्रिया करने में मदद करती है। इससे बीमारी के खिलाफ आपकी प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। एल्यूमीनियम इसका एक उदाहरण है।
  • मैसेंजर रिबोन्यूक्लिक एसिड (एमआरएनए) को कोविड-19 के कुछ नए टीकों में उपयोग किया गया है। यह ऐसा एक्टिव अवयव है जो प्राप्तकर्ता की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बेहतर करता है।
अवयव जो टीके को सुरक्षित और लंबे समय के लिए प्रभावी बनाए रखते हैं-

कुछ अवयव ऐसे होते हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि टीके को जिस उद्देश्य से बनाया गया है, वह उसी तरह से काम करता रहे और बाहरी जीवाणु व किटाणुओं से मुक्त रहे। उदाहरण के तौर परः

  • प्रिजर्वेटिव टीके को बाहरी जीवाणु या फंगस से सुरक्षित रखते हैं। आधुनिक समय में प्रिजर्वेटिव का उपयोग सिर्फ ऐसी वाइल (कंटेनर) में किया जाता है जिसमें एक से अधिक डोज हों। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि हर बार जब किसी एक व्यक्ति के लिए डोज को वाइल से निकाला जाता है, तब किटाणुओं के अंदर जाने की आशंका रहती है। अधिकांश टीके एक बार उपयोग (सिंगल डोज) वाली वाइल में भी उपलब्ध होते हैं और इनमें प्रिजर्वेटिव नहीं होते।
  • सर्करा या जिलेटिन जैसे स्टेबलाइजर टीके में मौजूद सक्रिय अवयवों को टीके के निर्माण, भंडारण और वितरण के दौरान सक्रिय बने रहने में मदद करते हैं। स्टेबलाइजर टीकों के इन सक्रिय अवयवों को उस दौरान भी बदलने से रोकते हैं जब भंडारण के दौरान इनका तापमान बदलता है।
टीकों के उत्पादन के दौरान उपयोग किए जाने वाले अवयव-

कुछ अवयव का उपयोग सिर्फ टीकों के उत्पादन के लिए किया जाता है और इनकी जरूरत टीकों के लोगों पर प्रभावी होने के लिए नहीं होती। उत्पादन के बाद इन अवयवों को हटा लिया जाता है, इसलिए अंतिम उत्पाद में इनकी बहुत सुक्ष्म मात्रा ही उपलब्ध रह जाती है। इतनी कम मात्रा हमारे लिए नुकसानदेह नहीं होती। कुछ टीकों में उपयोग होने वाले ऐसे अवयवों के उदाहरण हैः

  • सेल कल्चर (ग्रोथ) सामग्री, ताकि टीके के एंटीजेन विकसित हो सकें।
  • इनएक्टिवेटिंग (किटाणुओं को मारने वाले) अवयव जैसे कि टीकों में विषाणु, किटाणु या जहरीले तत्वों को समाप्त या कमजोर करने के लिए उपयोग होने वाले फोर्मालडिहाईड।
  • टीकों में बाहरी किटाणु या जीवाणु को विकसित होने से रोकने के लए नियोमाइसिन जैसे एंटीबायटिक
इन टीकों में कोई माइक्रो चिप या ट्रैकर मौजूद होने के दावे पूरी तरह झूठ (असत्य) हैं। इन टीकों में पारा या मर्करी होने के दावे भी झूठ (असत्य) हैं।

कॉविशिल्ड की संरचना में निष्क्रिय अडेनोविरुस (कोरोनावायरस के खंडो के साथ), एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड जेल, एल-हिस्टिडाइन, एल-हिस्टिडाइन हाइड्रोक्लोराइड मोनोहाइड्रेट, मैग्नीशियम क्लोराइड हेक्साहाइड्रेट, पोलियोकार्बोनेट 80, इथेनॉल, सुक्रोज, सोडियम क्लोराइड और डिसोडेट एडिटेट डाइहाइड्रेट (EDTA) हैं।

कोवाक्सिन की संरचना में निष्क्रिय कोरोनावायरस, एल्यूमीनियम हाइड्रॉक्साइड जेल, टीएलआर 7/8 एगोनिस्ट, 2-फेनोक्सीथेनॉल और फॉस्फेट बफर लवण [एनकेए 1] हैं।

टीका लेने से पहले कृपया अपने सेवा प्रदाता से टीकों में मौजूद अवयवों और एलर्जन के बारे में पूछ लें।

अधिक जानकारी के लिए: https://www.vaccines.gov/basics/vaccine_ingredients


अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक खंगालते रहें-


 

इस जानकारी को हार्वर्ड चैन स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ और दाना-फ़ार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट (DFCI) के विश्वनाथ लैब ने दाना-फ़ार्बर / हार्वर्ड कैंसर सेंटर (DF/HCC) के हेल्थ कम्युनिकेशन कोर की मदद से क्यूरेट किया है। ये हार्वर्ड चैन या DFCI के आधिकारिक विचार नहीं हैं। किसी भी प्रश्न, टिप्पणी या सुझाव के लिए rpinnamaneni@hsph.harvard.edu को इ-मेल करें।