कोविड- 19 के समय में सोशल मीडिया का जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग
हममें से अधिकांश लोग सोशल मीडिया पर सूचना साझा करने के लिए व्याकुल रहते हैं। लोगों को महज एक क्लिक में मैसेज फोरवार्ड कर देना बहुत लुभावना लगता है। लेकिन गलत और भ्रामक सूचनाएं हमारे जीवन पर बहुत गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। इससे लोगों में डर, गुस्सा, आलस, कट्टरता या और खतरनाक भाव आते हैं। आप सोशल मीडिया के उपयोग को ले कर ज्यादा सावधान रहते हुए भी अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों से संपर्क में बने रह सकते हैं।
THINK
सोशल मीडिया पर कुछ भी शेयर करने से पहले दो बार सोचें। खुद से पूछें:
T – Truthful क्या यह सच है
H – Help क्या यह मददगार है?
I – Inspire क्या यह प्रेरणास्पद है?
N – Necessary क्या यह आवश्यक है?
K – Kind क्या इसमें दया का भाव है?
ध्यान रखें:
- स्रोत का
क्या संबंधित मैसेज का स्रोत ज्ञात है? क्या आप खुद आश्वस्त हो सकते हैं कि यह विश्वसनीय है? आप कैसे मानते हैं कि यह विश्वसनीय है? क्या इसका स्रोत सरकारी अधिकारी, एक विश्वसनीय स्वास्थ्य या वैज्ञानिक संगठन है, या कोई न्यूज रिपोर्ट है?
- तस्वीरें
जिन तस्वीरों पर सही स्रोत नहीं दिया हो, जिनका सही संदर्भ नहीं हो और जो देखने से ही फर्जी लग रही हों, उनसे सावधान रहें। अपने आप से पूछिए कि क्या यह मुख्यधारा मीडिया या डब्लूएचओ जैसे भरोसेमंद संगठन या आपकी सरकार अथवा स्थानीय लोक स्वास्थ्य विभाग जैसे विश्वास करने योग्य स्रोत से आया है?
तस्वीरों को एडिट करने की आधुनिक तकनीक ने फर्जी तस्वीरें तैयार करना बहुत आसान बना दिया है जो बिल्कुल पेशेवर और वास्तविक सरीखी लगती हैं। यहां तक कि शोध दर्शाते हैं कि हम में से सिर्फ आधे ही लोग यह समझ पाते हैं कि तस्वीर फर्जी है। हालांकि कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिनसे आप तस्वीर की प्रमाणिकता का अंदाजा लगा सकते हैं, जैसे तस्वीर में छाया कहीं अटपटी जगह तो नहीं बन रही है या फिर किसी व्यक्ति या सामान के आस-पास ऐसा अलग से रंग का दायरा बना हो जिससे लगता हो कि उसे जोड़ा गया है।
- परखिए, सही प्रतीत हो रहा या नहीं
कॉमन सेंस का उपयोग करें! अगर कोई पोस्ट अविश्वसनीय लग रही हो, तो संभव है कि वह अविश्वसनीय ही हो। हमेशा ध्यान रखिए कि फर्जी सूचना या समाचार को इस तरह तैयार किया जाता है कि उससे आपके भय और पूर्वग्रह को बल मिल सके। साथ ही यह भी याद रखिए, कोई समाचार सही या सच्चा प्रतीत हो रहा है तो जरूरी नहीं कि वह वास्तव में ऐसा हो ही।
- आलोचनात्मक नजरिया पैदा करें
खुद से पूछिए, ‘‘यह मैसेज क्यों पोस्ट किया गया है?’’ क्या यह मुझे किसी खास विचारधारा की ओर आकर्षित करने के लिए है? क्या यह किसी खास उत्पाद को बेचने के लिए है? या फिर यह मुझे इस पर दिए गए लिंक के माध्यम से किसी दूसरी वेबसाइट पर ले जाने के लिए है?
- संदेह हो तो छोड़ कर आगे बढ़ें
किसी भी चीज को सोशल मीडिया पर शेयर करने की जल्दबाजी में ना रहें। कोई भी संदेश देखने के बाद थोड़ा रुकिए और इस बारे में पहले सोचिए। अगर आपको स्रोत या सूचना के बारे में कोई संदेह है तो आप जो कहना चाहते हैं उस बारे में फिर से सोचिए या फिर चुप ही रह जाइए।
- यहां बनिए कमजोर कड़ी
झूठी सूचना को फैलाने के लिए एक श्रंखला चाहिए होती है। अगर आप इसमें कमजोर कड़ी बनेंगे तो यह चेन टूटेगी। याद रखिए, आप कहीं अनजाने में ही झूठी सूचना तो आगे नहीं बढ़ा रहे। अगर आप इसे फोरवार्ड नहीं करते हैं तो आपके संपर्क वाले लोगों की ओर से भी इसे आगे बढ़ाए जाने की संभावना घट जाएगी। ऐसे मामलों में- फोरवार्ड ना करें!
स्रोत:
https://smartsocial.com/using-social-media-responsibly/
https://iowacity.momcollective.com/2018/06/29/responsible-sharing-social-media/
https://honestreporting.com/5-tips-sharing-news-responsibly-social-media/
https://www.mindtools.com/pages/article/fake-news.htm
इस जानकारी को हार्वर्ड चैन स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ और दाना-फ़ार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट (DFCI) के विश्वनाथ लैब ने दाना-फ़ार्बर / हार्वर्ड कैंसर सेंटर (DF/HCC) के हेल्थ कम्युनिकेशन कोर की मदद से क्यूरेट किया है। ये हार्वर्ड चैन या DFCI के आधिकारिक विचार नहीं हैं। किसी भी प्रश्न, टिप्पणी या सुझाव के लिए rpinnamaneni@hsph.harvard.edu को इ-मेल करें।